ब्राह्मण और दूसरी वर्गो मैं सामंजस्य

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🙏🙏🙏”जाति है कि जाती ही नहीं” ब्राह्मण धर्म की यह सच्चाई है।ब्राह्मणों विचारधारा को पूर्णतया मानने वाले या यूं कहें कि ब्राह्मणों के लिये पूर्ण समर्पित सतीश पूनियाँ को इसलिये हटा दिया कि उनकी जाति ब्राह्मणों के अनुकूल नहीं है।उनकी जाति से ब्राह्मण नफरत करते हैं।

🙏🙏🙏ब्राह्मण धर्मं में सब कुछ ब्राह्मणों ने अपने हिसाब से लिखा है जिसमें यह सर्वश्रेष्ठ बने रहे,इज्जत बनी रहे,भरणपोषण होता रहे।

🙏🙏🙏इनकी रक्षा के लिये एक वर्ण बनाया,व्यापार होता रहे उसके लिये एक वर्ण बनाया गया।यह तीनों वर्ण एक दूसरे से जुड़े हुये हैं।इसलिये इनमें आपस मे सामंजस्य है एक दूसरे के हितों की रक्षा के लिये सब मिलकर लड़ाई लड़ते हैं क्योंकि इन तीनों में से एक भी कड़ी कमजोर हुई तो तीनों एक साथ गिर जायेंगे।इसलिये यह तीनों आपस में कभी नहीं लड़ते हैं।पूरे देश में आपको एक भी उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें ब्राह्मण,क्षत्रिय व वैश्य के बीच कहीं दंगा हुआ हो।
आप सब लोगों ने जयपुर में हुये “ब्राह्मण महापंचायत” में जो हुआ वो देखा होगा।महापंचायत के मंच पर सबसे अधिक प्रभाव अश्विनी वैष्णव का था और ब्राह्मणों ने उनको राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया।अश्विनी वैष्णव कौन है ? ओबीसी से है और वर्ण व्यवस्था में वैश्य है लेकिन ब्राह्मणों ने स्वीकार किया।फिर ब्राह्मण महापंचायत के मांग पत्र में यह कहा गया कि अगला मुख्यमंत्री ब्राह्मण या क्षत्रिय में से बनाया जाये।तो तीनों वर्ण एक है या नहीं।ब्राह्मण धर्म का जाट हिस्सा होते तो सतीश पूनियाँ से भी ब्राह्मणों को खुश होना चाहिये था।जो जाट इस गलत फेमि में जी रहे हैं कि हम भी ब्राह्मण धर्म से है उनकी गलतफेमि ब्राह्मणों ने दूर कर दी।

🙏🙏🙏क्योंकि यह एक दूसरे से नफरत नहीं करते हैं नाराज हो सकते हैं जिसे दूर किया जा सकता है लेकिन नफरत हमेशा दिल में रहती है।

🙏🙏🙏चौथा वर्ण शुद्र।ऊपर के तीनों वर्णों के आगे शूद्रों की कोई औकात नहीं है।क्योंकि शूद्रों को चला ही यह लोग रहे हैं।शुद्र को शूद्रों से आपस में लड़ाकर नाराजगी को नफरत में बदलते है ताकि शुद्र एक न हो जाये।

🙏🙏🙏इन तीनों वर्णों को शूद्रों से सिर्फ एक ही डर है कि कहीं यह एक न हो जाये।इसलिये इनका हमेशा एक ही काम रहता है कि इनको आपस में लड़ाते रहो।पूरे देश में ऐसे सैंकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे जहां शूद्रों में आपस में दंगे हुये।

🙏🙏🙏शूद्रों को खुश करने के दिखावे भी करते है जिनका विश्वास करके कुछ शुद्र खुलकर इनका समर्थन भी करते हैं।

🙏🙏🙏राजनीति में राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,राज्यपाल,पार्टी अध्यक्ष जैसे पदों पर शूद्रों को बिठाकर शुद्र हितैषी होने का प्रचार खूब करते हैं लेकिन जिन पदों के पास पावर होता है जैसे प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,मुख्यन्यायाधीश,चीफ़ सेकेट्री इन पदों पर कोई शुद्र पहुंचने का प्रयास करता है तो सभी राजनीतिक पार्टियों में बैठे ऊपर के तीनों वर्णों के लोग पार्टी लाईन को छोड़कर एक हो जाते हैं।

🙏🙏🙏”जाति है कि जाती ही नहीं” यह बात शुद्र जब तक नहीं समझेगा तब तक ऊपर के तीनों वर्णों द्वारा शूद्रों का शोषण जारी रहेगा।

रामनारायण चौधरी

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