सिख इतिहास और सिख गुरु
सिख इतिहास के पहले गुरु नानक देव जी से शुरू होता है जिन्होंने बाबर जो कि मुगल आक्रांता था को मुंह तोड़ जवाब दिया की तू मुसलमान नही जा जाबर है जो निरीह लोगो पर जुल्म कर रहा है देश के लिए ये पहली जंग थी सिख कौम की तरफ से
फिर 6वे गुरु हरगोबिंद साहिब ने चार जंग लड़ी फिर आया दशम पिता गुरु गोबिंद सिंह साहिब का समय उन्होंने 14जंग 44 साल की उमर मैं लड़ी जबकि कोई जंग जर जोरू और जमीन के लिए नही थी गुरु गोबिंद सिंह साहब ने दक्षिण मैं जा बंदा बैरागी को उसकी ताकत का अंदाजा करवा कर बंदा सिंह बैरागी बनाया जिसने सरहिंद जहा 2 छोटे साहिब जादे दीवार मैं चिनवाए थे की ईट से ईट बजा कब्जा लिया
फिर समय आया बाबा दीप सिंह जी का अब्दाली ने हिंदुस्तान मैं गदर कर रखा था उसने अमृतसर के दरबार साहिब का सरोवर मिट्टी से भर दिया था को नाकों चने चबाए तब भाई मणि सिंह जी नवाब कपूर सिंह जी जस्सा सिंह आहलूवालिया जत्थेदार भाघेल सिंह जी ,अकाली फूला सिंह जी जो बाद मैं अकाल तख्त के जत्थेदार भी बने उस समय नादिर शाह और अब्दाली के समय बड़ा घलुघारा हुआ जिसमे 35 हजार सिख शहीद हुए
आक्रांताओं ने बहन बेटियों को कैद कर लै जाते थे उन्हें छुड़वा कर उनके घर वापिस पहुंचाने की सेवा सिख अपना फर्ज समझते थे
पंजाब मैं 12मिसले थी जिन्हे महाराजा रणजीत सिंह जी ने एक निशान साहिब के को समर्पित किया जिसकी वजह से महाराजा रणजीत सिंह रहती दुनिया तक याद किए जाते रहेंगे
महाराजा रणजीत सिंह जी के साथ हरी सिंह नलूवा जैसे योद्धा थे जिनके नाम का डंका आज भी 400 साल बाद बजता है आज भी माय अपने बच्चो को कहती है की सो जा नही तो नलुवा आजाएगा ये खौफ था
पर उसके बाद दोगराओ ने धोखा दिया और खड़क सिंह कंवर नौनिहाल सिंह व शेर सिंह को धोखे से मरवा दिया
उसके बाद शाम सिंह अटारी ने कमान संभाली और अंग्रेजो से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए और अंग्रेजो ने हिंदुस्तान पर राज कायम कर लिया
फिर महाराज सिंह और दयाल सिंह पोटो वाले बाबा जी और राम सिंह कूका लहर चलाई कीजिसको कूका लहर बोलते है इस समय सिखो को तोपो से उड़ा दिया गया
फिर आई सिंह सभा लहर और कई ऐतिहासिक ग्रंथ जला दिए गए
सारा गढ़ी 10000 अफगान फौज के साथ 21 सिख वीर जंग लड़े और काफी तादाद मैं अफगान शाहिद हुए समय आया चीफ खालसा दिवान कोलेज खुला सिखी के प्राचार के लिए उधर अमेरिका मैं गदरी लहर ने जन्म लिया सोहन सिंह भगना ने कमान संभाली
